जगतगुरु स्वामी शंकराचार्य लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. स्वामी शंकराचार्य ने देश की आजादी में भी अपना योगदान दिया, अंग्रेजों के खिलाफ खड़े रहे, जेल भी गए थे. वहीं उन्होने राम मंदिर निर्माण के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई भी लड़ी है. जगतगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरुपानंद सरस्वति जी दो मठों के शंकराचार्य रहे. स्वामी स्वरुपानंद सरस्वति महाराज का जन्म सिवनी के जिले के दिघोरी गांव में ब्राम्हण परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था. सिर्फ 9 वर्ष की उम्र में स्वामी जी ने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी. अपनी धर्मयात्रा के दौरान वे यूपी के काशी पहुंचे, यहां पर उन्होने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली. साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए. उस वक्त देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी. जगतगुरु शंकराचार्य का 99वां जन्मदिन हरियाली तीज के दिन मनाया था.
जगतगुरु स्वामी शंकराचार्य लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. स्वामी शंकराचार्य ने देश की आजादी में भी अपना योगदान दिया, अंग्रेजों के खिलाफ खड़े रहे, जेल भी गए थे. वहीं उन्होने राम मंदिर निर्माण के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई भी लड़ी है. जगतगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरुपानंद सरस्वति जी दो मठों के शंकराचार्य रहे. स्वामी स्वरुपानंद सरस्वति महाराज का जन्म सिवनी के जिले के दिघोरी गांव में ब्राम्हण परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था. सिर्फ 9 वर्ष की उम्र में स्वामी जी ने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी. अपनी धर्मयात्रा के दौरान वे यूपी के काशी पहुंचे, यहां पर उन्होने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली. साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए. उस वक्त देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी. जगतगुरु शंकराचार्य का 99वां जन्मदिन हरियाली तीज के दिन मनाया था.
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