रेवांचल टाईम्स डेस्क - शासन-प्रशासन की गलतियों से गोंडवाना शासन काल के राजाओं के द्वारा संरक्षित कुआ, बावली, तालाब, बड़ी खाईयां जैसे अनेक ऐसे धरोहर थे जो शासन-प्रशासन की गलतियों से कुछ लोगों ने अपने कब्जे में लेकर निगल लिया है। इतिहास कहता है कि इस ऐतिहासिक नगरी को मंडला में आई 1970, 1974, 1981, 1984, 1990,1992 की बाढ़ में किले वाली खाई और बाहर वाली खाइ ने ही इस शहर की रक्षा की, अन्यथा मंडला शहर जलमग्न हो जाता है। यदि समय रहते इन दोनों खाइयों को सुरक्षित नहीं किया गया तो कालांतर में इनमें तेजी से हो रहें अतिक्रमण इनको निकल जाएंगे। और ऐसी स्थिति में मंडला कभी भी भीषण बाढ़ की चपेट में आ सकता है। समय रहते प्रशासन अगर नहीं चेता तो इन दोनों खाइयों पर अतिक्रमणकारी अपना आशियाना बना लेंगे। इतिहास यह भी कहता है कि मंडला जिले के अभेद्य दुर्ग एवं रामनगर के शानदार किले की रक्षा के लिए गोंड कालीन राजाओं ने इन दोनों खाइयों का निर्माण कराया था। कालांतर में अंग्रेजों ने इसके महत्व को समझा और इसे सुरक्षित रखा। 20 साल पहले तक तत्कालीन कलेक्टर भी इन खाइयों की खुदाई एवं सुरक्षा के लिए सचेत रहें,और जल संसाधन विभाग से इसका गहरीकरण कराया गया था। और इतिहास साक्षी है कि इन दोनों खाइयों ने ही भीषण बाढ़ में मंडला शहर की रक्षा की*
मंडला। जिला मुख्यालय में स्थित बड़ी खाइयों में लम्बे अरसे से भू- माफियाओं के द्वारा अतिक्रमण कर पक्का निर्माण किया और कराया जा रहा हैं। जिला मुख्यालय के हृदय स्थल से गुजरने वाली बड़ी खाइयों, जिसमें से मां नर्मदा का जल एक तरफ से दूसरे किनारे में बहता था पर वर्तमान समय में अतिक्रमणकारियों के द्वारा दोनों खाइयों के मुहाने को बंद कर दिया गया है। आज बड़ी खाई अतिक्रमण की चपेट में आ गई है, और शहर के घरों से निकलने वाला गंदा पानी बड़ी खाइयो में मात्र एकत्र होकर रह गया है। गंदा पानी बहाव के लिए कोई साधन भी नहीं बनाए गए हैं।
169 अतिक्रमणकारियों को जारी किया गया बेदखली का नोटिस...
प्राप्त जानकारी अनुसार तत्कालीन कलेक्टर डाॅ.जगदीश चंद्र जटिया के कार्यकाल में बड़ी खाइयों में अवैध 169 अतिक्रमणकारियों चिन्हित किया गया था। प्राप्त जानकारी अनुसार 169 में से 130 अवैध अतिक्रमणकारियों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया था। शेष 39 लोगों को बेदखली के नोटिस जारी करना रह गया था। कोविड-19 कोरोना काल की महामारी से अब तक अतिक्रमण हटाने का मामला सरकारी बस्ते में बंद है। जिला प्रशासन अब अपने संज्ञान में लेकर अवैध अतिक्रमण को हटाया जाए जिससे गोंड कालीन धरोहरों को सुरक्षित बचाया जा सके।
शिव दोहरे की रिपोर्ट....
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