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Saturday, June 18, 2022

नामी झोलाछाप और योगीराज अस्पताल के लापरवाह डॉक्टर्स, प्रबंधक पहुँचे जेल, अपीलीय न्यायालय ने भेजा जेल...



रेवांचल टाईम्स डेस्क - आदिवासी बाहूल्य जिले मंडला की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर  पहले से ही काफी सुर्खियों में बने के साथ साथ बदनाम है, वहीं जिले के गाँव गाँव से लेकर नगर के हर कोने में ये झोलाछापों का  आतंक है। आये दिन इन झोलाछापो के कारण जिला चिकित्सालय में मरीजों के उपचार में लापरवाही के कारण विवाद की स्थिति निर्मित होती है तो वहीं सस्ते इलाज के चलते गरीब लोग इन झोलाछापों के चंगुल में मरीज आकर अपनी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे गैर जिम्मेदार और लापरवाह डॉक्टरों को संरक्षण देने का काम स्वास्थ्य विभाग के मुखिया के द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में जहां देखों वहां बगैर पंजीयन के डिस्पेंसरी खुल रही है तो वहीं नियमविरुद्ध पैथालॉजी भी संचालित हैं। आखिर इनको किसका संरक्षण और ये सब ज़िम्मेदारों की मौन स्वीकृति से ये काम चल रहे हैं? ऐसे ही फर्जी एवं लापरवाह डॉक्टरों को संरक्षण और मौन स्वीकृति मिलने के कारण ही अनेक लोग दृष्टिहीन हो गये। अब सवाल ये उठता है कि जो लोग दृष्टिहीन हो गये उनके भविष्य की जिम्मेदारी कौन लेगा?


           जानकारी के अनुसार योगीराज हॉस्पिटल में मोतिया बिंद का ऑपरेशन करने के बाद मरीजों को आँख में दिखाई देना बंद हो गया था। इस मामले की शिकायत थाने से उच्च स्तर तक शिकायत की गई, जिसका फैसला न्यायालय द्वारा किया गया और कोर्ट ने उन डॉक्टरों एवं प्रबंधक को सश्रम कारावास की सजा सुनाई।


       प्रकरण के संबंध में बताया गया कि 27 अक्टूबर 2010 को सीएमएचओ ने थाना मंडला में इस आशय की लिखित आवेदन दिया कि 10 सितम्बर 2010 से 16 सितंबर 2010 के मध्य योगीराज अस्पताल मंडला के डॉ. एवं उसकी टीम के द्वारा लगभग 38 लोगों की मोतियाबिंद का आंख का ऑपरेशन लापरवाहीपूर्वक एवं  उपेक्षा पूर्वक तरीके से करने से मरीजों की आंख की स्थायी रूप से रोशनी चली गयी एवं ऑपरेशनशुदा मरीजों की आंख में दिखना ही बंद हो गया।


      वही उक्त आवेदन पर से अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा 338 भादवि में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर विवेचना के दौरान ही गंभीर मामला होने से कलेक्टर द्वारा जिला स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया। जांच स्तरीय समिति द्वारा अस्पताल प्रबंधन के कार्यों की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत की गयी दौरान विवेचना धारा 201 भादवि का इजाफा किया गया था। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्तगणों के विरुद्ध अभियोग पत्र तैयार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जिस पर अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के मुल्यांकन एवं तर्कों से सहमत हुए।


प्रकरण दर्ज होने के बाद भी धड़ल्ले से चला रहे थे क्लीनिक एवं मेडिकल


       वही मोतियाबिंद ऑपरेशन के मामला दर्ज रहने के बाद भी डॉक्टर श्याम जंघेला मरीजों का उपचार करने के साथ दवा की दुकान भी खुलेआम चलाते रहे। जबकि वेयर हाउस मोहल्ले के कॉम्पलेक्स में स्थित क्लीनिक जो डॉ. शयाम जघेला की थी, उसे सील कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक प्रशासन को फर्जी डॉक्टरों व उनके क्लीनिक को लेकर लगातार शिकायत मिल थी कि इस क्लीनिक में बैठे व्यक्ति जो खुद को डॉक्टर बताते हैं, उनके पास कोई डिग्री नहीं है और कोरोना काल में लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं फर्जी तरीके से क्लिनिक चला रहे है और अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा ईलाज किया जाता है, वही प्रशासन की टीम लगातार ऐसे अनाधिकृत क्लिनिकों पर नजर बनाये हुए है जब करवाई की गई तो दूसरे झोलाछाप डॉक्टर अपनी क्लिनिक बंद कर फरार हो गए थे जो भी झोलाछाप डॉक्टर मौके में मिला उसका क्लीनिक को सील कर दिया।


इन्हें भेजा जेल...


         वही विचारण उपरांत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा 27 दिसम्बर 2021 को अभियुक्तगण संजय सिंह उम्र 56 वर्ष निवासी नागपुर जिला नागपुर को धारा 201 भादवि में दोषसिद्ध पाते हुए छः माह के सश्रम कारावास एवं डॉ. अनिल परमार निवासी सिहोर जिला सिहोर, कमल सिहं निवासी केवलारी, श्याम जंघेला निवासी महाराजपुर मंडला, भूपेन्द्र सिंह ठाकुर निवासी बम्हनी मंडला को धारा 338 भादवि में दोषसिद्ध पाते हुये दो-दो वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित किया गया था एवं प्रत्येक आरोपी को आहतगणों को एक-एक हजार रूपये प्रतिकर के रूप में अदा करने के लिए आदेशित किया गया था जिसके विरुद्ध अभियुक्तगण द्वारा सत्र न्यायालय में अपील प्रस्तुत की गयी थी जिस पर सुनवाई उपरांत चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा 16 जून 2022 को अपील निरस्त करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा पारित निर्णय की पुष्टि करते हुए आरोपीगणों को जेल भेज दिया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी जीतेन्द्र सिंह द्वारा की गई थी।

            वही वर्तमान में भी गांव गांव में झोलाछाप डॉ की भरमार है शायद जिला प्रशासन फिर किसी घटना का इंतजार कर रहा है जानकारी के अनुसार इन्हें रोकने और इन पर निगरानी के लिए विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी और अनुविभागीय राजस्व और स्थानीय पुलिस विभाग कार्यवाही कर सकता है पर सब के सब अपने अपने कामो में लगे हुए इन्हें सही गलत नही दिखाई दे रहा है।

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