जब इसमें कॉन्ट्रैक्शन अर्थात संकुचन होता है तब हमारे फेफड़ों में हवा के लिए जगह बनती है। जब डायफ्राम मांसपेशी का संकुचन अचानक बार-बार होने लगता है तो हमें हिचकी आने लगती है। हिचकी के समय जो आवाज़ आती है वह ग्लोटिस (वोकल कॉर्ड्स के बीच की ओपनिंग, जिसे कंठद्वार कहा जाता है) के जल्दी-जल्दी बंद होने के चलते आती है।
क्यों आती है हिचकी?
वैसे तो हिचकी आने का एग्ज़ैक्ट कारण बता पाना संभव नहीं है, पर इसके कुछ आम कारण हैं :—
- ज़रूरत से ज़्यादा खाना खा लेना। बहुत ज़्यादा तीखा या मसालेदार खाना या जल्दबाज़ी में खाना।
- अल्कोहल या एरेटेड ड्रिंक्स पीना। स्मोकिंग करना।
- तनाव, घबराहट, अतिउत्साह आदि के चलते भी कभी-कभी हिचकी आने लगती है।
- हवा के तापमान में अचानक बदलाव आने से हिचकी का दौर शुरू हो सकता है।
कैसे मिले हिचकी से राहत?
वैसे तो हिचकी कुछ देर बाद अपने आप ठीक हो जाती है, पर यदि ज़्यादा समय तक यह बनी रहे तो राहत के लिए ये घरेलू नुस्ख़े कारगर साबित होते रहे हैं।
- ठंडा पानी पिएं या आइसक्यूब्स मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसें।
- दालचीनी का एक टुकड़ा मुंह में डालकर कुछ देर चूसने से हिचकी में राहत मिलती है।
- गहरी सांस लें, जितनी देर हो सके सांस रोकें। यह प्रक्रिया दोहराएं आराम मिल जाएगा।
- पेपरबैग में मुंह डालकर सांस लें, सांस छोड़ें। इससे श्वसन की प्रक्रिया को नॉर्मल होने में मदद मिलती है।
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