मध्य प्रदेश ) के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सरकार की आरक्षण प्रक्रिया का किस तरह मखौल उड़ाया जा रहा हैं, इसकी एक बानगी रायसेन (Raisen) जिले में देखने को मिली. दरअसल, रायसेन जिले में सिलवानी विकास खंड की ग्राम पंचायत सिंगपुरी में सरपंच के चुनाव के लिए महिला सीट आरक्षित की गई है. चुनाव के बाद महिला सरपंच भी बनेगी लेकिन चुनाव प्रचार से उम्मीदवार गायब है. महिला उम्मीदवार रानी यादव के घरवालों ने चुनाव प्रचार से उन्हें अलग रखा है. सवाल पूछे जाने पर महिला उम्मीदवार से लेकर उसके पति और बाकी घरवालों के अपने-अपने तर्क हैं.
महिला उम्मीदवार के चुनाव प्रचार के लिए एक बैनर बनवाया गया. बैनर में चुनाव चिन्ह है, उसके पति की फोटो है, मतदाताओं से जिताने की अपील की गई है लेकिन असल उम्मीदवार की तस्वीर नदारद है. सवाल पूछे जाने पर महिला उम्मीदवार के पति महेंद्र यादव ने बताया कि वह सरपंच पद का चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन महिला सीट रिजर्व होने से पत्नी को मैदान में उतार दिया.
सरपंच उम्मीदवार के पति ने यह कहा
बैनर में केवल पत्नी का नाम पति के नाम के आगे लिख चुनाव प्रचार करने के सवाल पर महेंद्र यादव ने बताया, ''हम पारिवारिक परंपरा के अनुसार चुनाव लड़ रहे हैं. हमारे यहां आज भी घूंघट प्रथा है. ऐसे में बड़े-बूढ़ों को चेहरा कैसे दिखाएं. वैसे भी सरपंच प्रतिनिधि के रूप में पत्नी के साथ मिलकर आगे भी काम मुझे ही देखना है. इसलिए पोस्टर में मैंने अपना फोटो लगवाया है. हमारे परिवार के लोग ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं.''
महिला उम्मीदवार का यह है कहना
सरपंच पद की उम्मीदवार रानी यादव चुनाव प्रचार में उनका चेहरा छिपाने की बात को सही ठहराती हैं. रानी यादव ने कहा, ''मेरे क्षेत्र मेरे पति काफी सक्रिय राजनीति में रहे हैं लेकिन आरक्षण के कारण हमारे यहां महिला सीट हो गई, इसलिए मैं अब चुनाव मैदान में हूं. हमारे परिवार में पर्दा करने की प्रथा है, इसलिए हम प्रचार पर नहीं जा रहे हैं.''
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