नई दिल्ली: कांग्रेस पंजाब के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1988 रोड रेज केस में एक साल की सजा सुनाई है। पीड़ित परिवार द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ दायर तीन दशक पुराने रोड रेज मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। अब उसपर सुनवाई करते हुए सिद्धू को एक साल सश्रम यानी कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
क्या है पूरा मामला
यह मामला लगभग 34 साल पुराना है। नवजोत सिद्धू और उनके दोस्त का पटियाला में पार्किंग को लेकर झगड़ा हो गया है। झगड़े में 65 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई थी। दरअसल 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे। ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है। सिद्धू का अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था। मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया। पुलिस बुजुर्ग को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए।
साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ नवजोत सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ अब मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। उनकी मांग है कि हाईकोर्ट की तरह सिद्धू को 304IPC के तहत कैद की सजा होनी चाहिए।
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