रेवांचल टाईम्स–टिकारी में चल रहे श्री अष्टलक्ष्मी महायज्ञ एवं देवी भागवत में पूर्ण का वाचन करते हुए पूज्य नीलू महाराज जी ने कहा कि वास्तव में देवी और दानवों के बीच का यह युद्ध बाहरी नहीं है, यह अपने अंदर चलने वाला युद्ध है। यह लड़ाई हर इंसान के अंदर निहित दैवी और दानवीय दुर्गुणों के बीच की है। इस आंतरिक संघर्ष को चरित्रों एवं कथाओं के रूप में चित्रित किया गया है। देवी दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी कहा जाता है। यानी कि दुर्गुणों से मनुष्य और समाज की जो दुर्गति होती है, उसे नाश करने का आध्यात्मिक प्रतीक हैं देवी दुर्गा। जब भी संसार में नकारात्मक आसुरी प्रवृत्तियों की अति होती है, तब सकारात्मक दैवी शक्तियों का आह्वान होता है। श्रीमद देवी भागवत महापुराण आयु, आरोग्य, पुष्टि, सिद्धि ,आनंद तथा मोक्ष प्रदान करने वाला दिव्य ग्रंथ है। देवी भागवत एक अत्यंत गोपनीय पुराण है, जिसका वर्णन सर्वप्रथम भगवान शिव ने महात्मा नारद के लिए किया, पूर्वकाल में उसे फिर स्वयं भगवान व्यास ने भक्तिनिष्ठ महर्षि जैमिनि के लिए श्रद्धापूर्वक कहा और फिर उसी को वर्तमान में प्रेषित किया जाता है। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है।
विनोद दुबे के साथ रेवांचल टाईम्स की रिपोर्ट
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