इस योजना का उद्देश्य यह है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चों को ऐसा परिवेश उपलब्ध कराया जाए जिससे कि उनका समग्र विकास संभव हो. इसी उद्देश्य से ऐसे दानदाताओं/सहयोगकर्ताओं को आंगनवाड़ी केन्द्रों से सम्बद्ध किया जा रहा है, जो आगंनवाडी केन्द्र को गोद लेकर इन केन्द्रों की आधारभूत आवश्यकताओं एवं सेवाओं में अपनी सहभागिता कर सकें. कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था इन आंगनवाड़ी केन्द्रों को गोद लेकर सेवाओं में सहयोग प्रदान कर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 97135 आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किये जा रहे हैं. इन केन्द्रों के माध्यम से 6 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं को स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाऐं तथा 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा प्रदान की जाती है. सरकार का मानना है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपलब्ध सुविधाओं के अतिरिक्त अन्य सुविधाओं की पूर्ति हेतु सामाजिक सहभागिता एवं जागरुकता आवश्यक है.
इसके तहत अब तक जबलपुर संभाग में 14 हजार 313 सहयोगियों ने पंजीयन कराया है. इसमें 13 हजार 13 को सहमति मिली है. सागर संभाग में 7 हजार 563 के पंजीयन के विरूद्ध 6 हजार 75 सहयोगियों को विभाग द्वारा सहमति दी गई है. होशांगाबाद संभाग में 4 हजार 485 ने पंजीयन कराया और 3 हजार 998 सहयोगियों से सहमति मिली है. उज्जैन संभाग में आंगनवाड़ी को गोद लेने के लिए अब तक 8 हजार 966 सहयोगियों ने अपना पंजीयन कराया है. महिला-बाल विकास विभाग द्वारा इसमें से 6 हजार 989 को सहमति प्रदान की है.
अभियान में इंदौर संभाग में 10 हजार 895 सहयोगियों ने आंगनवाड़ी केन्द्र की जिम्मेदारी के लिए पंजीयन कराया है. इसमें 9 हजार 837 सहयोगियों को विभाग द्वारा सहमति प्रदान की गई है. रीवा संभाग में 8 हजार 932 सहयोगियों ने पंजीयन कराया, जिसमें 6 हजार 442 की सहमति प्रदान की गई है.
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