रेवांचल टाइम्स - देवउठनी ग्यारस का पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। सुबह से टेम्पो चौराहे स्थित बाजार में भीड़ रही। लोगों ने यहां से पूजा के लिए गन्ना व अन्य सामग्री खरीदी। लोगों ने रात में अपने-अपने घरों पर भगवान पूजा करके आतिशबाजी की। इस पर्व के साथ ही एक बार फिर से शहनाई की गूंज सुनाई देने लगी।
ज्ञातव्य है देवशयनी एकादशी के बाद से विवाह आदि कार्यक्रमों का दौर थमा हुआ था। लेकिन देव जागते ही एक बार फिर से शादी विवाह का दौर शुरू हो गया। पं. शांतनु जी ने बताया दीपावली के बाद आने वाली एकादशी को देवउठनी ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। इसको छोटी दीपावली के रूप में मनाते हैं। इस दिन के बाद से सभी धार्मिक कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस दिन मंदिरों में भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
देवउठनी ग्यारस पर तुलसी-शालीग्राम विवाह धूमधाम से किया गया। तुलसीजी को सुहाग सामग्री भेंट कर शृंगार किया गया और कन्यादान भी किया। विधि-विधान से भगवान का तुलसी माता के साथ विवाह संपन्न कराया गया। इसी तरह कई घरों में महिलाओं ने तुलसीजी को सुहाग सामग्री भेंट की और विवाह की रस्म अदायगी की गई। सभी श्रीकृष्ण मंदिरों की आकर्षक सज्जा कर भगवान का मनमोहक शृंगार भी किया गया। यहां श्रद्धालुओं ने विवाह की रस्म अदा की। कई महिलाओं ने इस दिन व्रत भी रखा। आज के बाद विवाह समारोह की धूम भी शुरू हो गई
No comments:
Post a Comment