रेवांचल टाइम्स - पूर्व सामान्य वन मंडल के अंतर्गत वन रक्षकों से कार्यालयीन कार्य करवाया जा रहा है शासन के नियमानुसार वन रक्षकों की नियुक्ति वनों एवं वन्यप्राणियो की सुरक्षा के लिए की जाती है ।
इस वन मंडल में
एक ही स्थान पर अनेकों वर्षो से वन रक्षक पदस्थ है जिससे वनों की सुरक्षा में सवालिया निशान लग रहे हैं वहीं कार्यालयो में कार्यालयीन कार्य करने के लिए पर्याप्त लिपिक हैं वन विभाग के जिले का रोस्टर देखा जाये तो लिपिक के पद खाली ही नही हैं किंतु विभाग के जंगली अफसरों का जंगलराज चल रहा है वन रक्षकों को जंगल की बजाय आफिस में कार्य कराए जा रहे हैं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार
परिक्षेत्र जगमण्डल अंजनिया में बहुत से वन रक्षकों को विशेष कर्तव्य पदस्थ रखा गया है
साथ ही उप वन मंडल कार्यालय जगमण्डल एवं वन मंडल कार्यालय में लगभग एक दर्जन वन रक्षकों को कार्यालयों में पदस्थ रखा गया है जो कि विभागीय नियमो की अनदेखी है। बाबुओं के द्वारा कार्य नही किया जाता कार्यालयीन समय मे कार्यालय में शोसल मीडिया व्हाट्सएप पर व्यस्त देखे जा सकते हैं। इनके द्वारा सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है । जिससे काम करने वाले कर्मचारियों का मनोबल टूटता है । वन रक्षकों की ड्यूटी के संबंध में नियम के अनुसार किसी भी वनरक्षक को एक बीट में पांच वर्ष से अधिक पदस्थ नही रखा जा सकता है वनों की सुरक्षा की दृष्टि से
वन रक्षकों का स्थानांतरण 3 वर्षो में या विशेष परिस्थितयो में किया जाना है परन्तु यहाँ पर नियमो की सरेआम धज्जिया उड़ाई जा रही है कुछ वनरक्षक ऐसे भी है जो वर्ष 2009,2011,2008 तथा 2012से लगातार एक ही जगह पर पदस्थ है
एक ही स्थान पर लंबे समय तक पदस्थ रहने से वनों एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है
जिसका जीता जागता उदाहरण वनों में अवैध के कई मामले सामने आए हैं ।
ऐसे मे वनविभाग की लापरवाही साफ़ तोर पर देखि जा सकती है जिस कारण जहाँ पहले जंगल थे आज वहाँ मैदान नजर आ रहा है और तो ओर जंगलो को काट कर अब लोग खेती भी करने लगे ऐसे अनेक उदाहरण है जो वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। वही आये दिन वन भूमि से रेत का अवैध परिवहन जंगल के अंदर पेड़ काटकर उनकी लकड़ी का तरह तरह का उपयोग करना पर ये सब अधिकारीयो कैसे दिखे क्योंकि जो जंगल के अंदर काम करने वालो को ऑफिस के अंदर जो बिठाल रखा है जंगल माफियाओं के द्वारा एक तरफ से जंगलो का सफाया किया जा रहा है
No comments:
Post a Comment