रेवांचल टाइम्स - युद्ध पर बनी फिल्मों में निर्माता निर्देशक 'चेतन आनंद' की फिल्म 'हकीकत' मील का पत्थर मानी जाती हैl इस फिल्म में 'कैफ़ी आज़मी' का लिखा गया गीत 'जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है कंही ये वो तो नहीं' बड़ा ही मशहूर हुआ था और आज भी वो गीत सुना जाता हैl कैफ़ी आजमी को इस बात का अंदेशा भी नहीं रहा होगा कि पचास, पचपन साल बाद भी ये गीत लोगों की जुबान पर एक बार फिर तैरने लगेगा, दरअसल जब से ये कोरोना आया है तब से उसके इतने लक्षण डाक्टरों ने, वैद्यों ने, हकीमों ने, और अपने यूट्यूब और वाट्सअप पर ज्ञान देने वालों ने बतला दिए हैं कि ऐसा लगता है कि शरीर के हर अंग में कोरोना छिपा हुआ बैठा है, अब तो ये हाल हो गए है कि 'जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है' की तर्ज पर 'जरा सी खांसी आती है' या 'जरा सा बुखार आता है' 'जरा सी सर्दी' लगती है' 'जरा सा शरीर में दर्द होता है' 'जरा सी सांस में तकलीफ होती है' तो दिल सोचता है कंही ये वो तो नहीं यानि कोरोना तो नहींl पहले जब छोटे बच्चे रोते थे या सोते नहीं थे तो 'मायें' उन्हें डराने के लिए कहती थी 'चुप हो जाओ सो जाओ वरना बाबा पकड़ के ले जाएगा, अब माताएं बच्चो को कोरोना के नाम पर डराती हैं कि आँख बंद कर लो वरना कोरोना आ जाएगा, वो तो अच्छा हुआ फिल्म 'शोले' के टाइम में कोरोना नहीं आया था वरना गब्बर सिंह का ये डायलॉग 'यंहा से दो दो कोस दूर जब बच्चा रोता है तो उसकी मां कहती है सो जा नहीं तो गब्बर आ जायेगा' उसकी जगह गब्बर कहता 'सो जा वरना कोरोना आ जाएगा' अब तो भूत प्रेत से भी इतना डर नहीं लगता जितना कोरोना के नाम से लगने लगा हैl पहले लोग रात बिरात श्मशान के पास से नही निकलते थी कि कंही कोई भूत प्रेत या चुड़ैल न दिख जाय पर अब उनका डर ख़त्म हो चुका है हाल ये हैं कि यदि भूले भटके कभी भूत प्रेत दिख भी जाए तो उससे इतना कह दो कि मैं 'कोरोना पॉजिटिव' हूँ वो ऐसा गायब होगा कि सात जन्मों तक श्मशान के आसपास भी नहीं फटकेगा, अब तो लुटेरे भी कोई हथियार नहीं रखते जिसको लूटना है उसके पास ज़ाकर बस इतना ही कहते हैं कि जितना भी माल जेब में हो निकाल दो वरना में 'खांस दूंगा' और खांसने की बात सुनते ही लुटने वाला अपनी से जेबें खाली कर देता है और हाथ जोड़कर यही कहता है कि भैया सब कुछ लूट लो पर खाँसना मत यदि तुमने खाँसा और हमें कोरोना हो गया तो तुम तो हजार पांच सौ ही लूटोगे 'प्राइवेट अस्पताल' वाले चार पांच लाख रूपये लूट लेंगे इसलिए तुमसे लुटना ही ज्यादा फायदेमंद हैl अपने को तो लगता है कि सरकार फालतू में अरबों रूपये के 'रॉफेल विमान' और दूसरे हथियार खरीद यही है रोजाना चीन और नेपाल से बातचीत कर रही है कि हमारी जमीन पर से कब्जा छोड़ दो, सरकार कुछ न करे हजार पांच सौ कोरोना पॉजिटिव बॉर्डर पर भेज दे जो वहां जाकर जोर जोर से खांसें और छींकें दो दिन के भीतर चीन और नेपाल इंडिया की जमीन पर से कब्जा न छोड़ दे तो कहनाl अब एक नई खोज हुई है कि कोरोना 'आंसुओं' से भी फैलता है यानि अब रोने पर भी बैन लगने वाला है लोग बाग़ कहते थे कि किसी दुखियारे के आंसू पोंछना सबसे बड़ा पुण्य का काम है, पर अब न बाबा, न खबरदार जो किसी के आंसू पोंछे अब न दुःख में आंसू निकाल पाओगे न ख़ुशी के आंसुओं को बाहर आने की परमीशन होगी, हमें तो लगता है की पहले के जमाने में आंसुओं पर जो गाने बने है जैसे 'आँसू समझ के क्यूँ मुझे आँख से तुमने गिरा दिया' या 'आंसू भरीं है ये जीवन की राहें' या 'ये आंसू मेरे दिल की जुबान है' या फिर 'दिल के अरमा आँसुओँ मेँ बह गए' 'उम्मीदों से कह दो न आंसू बहाएं' 'मेरी याद में तुम न आंसू बहाना' आदि आदि पर भी अब रोक लगने वाली है यानि अभी तक खांसने, छींकने, हाथ मिलाने, गले लगाने, एक दूसरे के पास खड़े होने, बिना मास्क के बात करने से कोरोना फ़ैल रहा था अब वो आंसुओं से भी फैलने वाला है, इस नई खोज से सबसे ज्यादा नुक्सान उन 'रुदालियों' का होगा जो पैसे लेकर किसी के मरने पर रोने आती हैं उनका तो धंधा ही मारा जाएगा, लेकिन एक बात जरूर है की जितनी बदनामी कोरोना झेल रहा है उतनी बदनामी आज तक किसी के नाम नहीं आई लेकिन कहते हैं न बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ, यही सोच कोरोना की हो सकती है l
चेतन्य भट्ट
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