रेवांचल टाइम्स सिवनी- जिले में यूरिया की किल्लत अभी भी बनी हुई है। दैश का अन्य दाता है परेशान जगह जगह हो रही है यूरिया की किल्लत किसान परेशान 35 हजार मीट्रिक टन की मांग के बाद भी पूरी आपूर्ति नहीं हो पाई। ऐसे में यूरिया की कालाबाजारी का काम जोरों से जारी है। जबकि लगातार मामले उजागर होने के बाद भी सख्ती नहीं हो पाई। इस पूरी स्थिति में सबसे ज्यादा किसान परेशान हैं। वे बार-बार सोसायटी के अलावा दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।
500 रुपए में बिक रही यूरिया खाद - जानकारी के अनुसार एक बोरी यूरिया की कीमत 267 रुपये है ।लेकिन उसे 500 रुपये में तक चोरी छिपे बेचा जा रहा है। इसका खुलासा छपारा और चमारी के अलावा भीमगढ़ में हो चुका है। व्यापारियों ने बड़ी मात्रा में पहले ही स्टॉक कर लिया था। अभी भी यही स्थिति है।
रैक लगने का बहाना - चूंकि रैक प्वाइंट के बाद भी यूरिया गोदाम के बाद समितियों तक पहुंचती है। किसानों का कहना है। कि अधिकारी रैक लगने का बहाना करते हैं। आज कल या दो से तीन दिन का समय देकर परेशान करतें है। जबकि सिवनी के लिए नरसिंहपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा और जबलपुर रैक प्वाइंट बनाए गए हैं। इसके बाद भी आपूर्ति नहीं हो पा रही।
सप्लाई के बाद समस्या - सिमरिया ,पलारी एंव जगह जगह के किसानो ने हुकुमचंद सनोड़िया, तिघरा के किसान रामनंदन बघेल का कहना है कि जब यूरिया सप्लाई हो रही है तो उसके बाद भी समस्या बनी हुई है। सेलुआ के किसान रामनाथ पंचेश्वर का कहना है कि हर साल यूरिया की किल्लत होती है। एक किसान को एक बही पर दो बेरिया से ज्यादा यूरिया नहीं दी जाती।
यूरिया की कालाबजारी पर रोकने में खाद्य विभाग के जिम्मेदारी नाकाम है।
अखिलेश बंदेवार एवं विनोद दुबे के साथ रेवांचल टाइम्स की एक खास रिपोर्ट
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