डिजीलेप के प्रचार-प्रसार,पुस्तक वितरण और कोविड-19से कैसे बचें उद्देश्य को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने किया गांवों का भ्रमण
रेवांचल टाइम्स - नवीन शिक्षा सत्र विगत माह से प्रारम्भ हो गया है।कोविड-19 से बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय अपनायें जा रहे है ताकि लोग संक्रमण से बचे रहें,सुरक्षित रहें।जिसके कारण विद्यालय नहीं खुल पाए हैं।मध्यप्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने कक्षा 1 से 12 तक की पढ़ाई न रुके इसके लिए बहुत से नवाचार अपनाए हैं। जैसे कि डिजीलेप अर्थात दक्षता संवर्धन कार्यक्रम, हमारा घर-हमारा विद्यालय, रेडियो से प्रसारण, दूरदर्शन, केबल टी व्ही आदि।मण्डला की नवागत कलेक्टर हर्षिका सिंह ने शिक्षा और स्वास्थ्य को प्रथम प्राथमिकता देने की अपनी मंशा जाहिर कर चुकीं हैं।मुख्यकार्यपालन अधिकारी , जिला पंचायत मण्डला तन्वी हुड्डा भी जिले की स्कूली शिक्षा को लेकर काफी संवेदनशील हैं।इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन और मार्गदर्शन में शिक्षा विभाग और आदिवासी विकास विभाग अपने अमले के साथ बच्चों की पढ़ाई को लेकर एक्शन में आ गया है।इस के तहत जिला शिक्षा अधिकारी मण्डला निर्मला पटले और एडीपीसी मुकेश पांडे ने हाई स्कूल सेमरखापा और गाजीपुर में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों तथा उनके पालकों से डोर-टू-डोर संपर्क किया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ सेमरखापा प्राचार्य अखिलेश चंद्रोल ,शिक्षक कृष्ण कुमार हरदहा, कमलेश हरदहा, पवन नामदेव,कवींद्र सुरेश्वर विद्यार्थियों के घर गए तथा उन्हें व उनके पालकों को कोरोना वायरस से बचाव के उपाय बताए,बच्चे की माध्यम से अध्ययन कर रहे हैं की जानकारी लिए,कापियों का अवलोकन कर आवश्यक निर्देश-मार्गदर्शन दिए।इस अवसर पर विद्यार्थियों को मास्क व पुस्तकें भी वितरित की गईं। गाजीपुर में भी प्राचार्य आर एल मरकाम व उनके शिक्षक विद्यालय में मिले तथा कुछ बच्चों के घर ले गए जहाँ बच्चो को प्रेरित किया गया तथा पालकों को आवश्यक सुझाव दिए गए।बता दें कि वर्तमान समय में व्हाट्सएप मोबाईल, दूरदर्शन, केबल टीवी, रेडियो आदि के माध्यम से रुचिकर तथा आसानी से समझयोग्य शिक्षण सामग्री जिसमें वीडियो भी होते है, प्रतिदिन राज्यस्तर से जिला को फिर जिला से स्कूलों के व्हाट्सअप ग्रुप में भेजी जाती है।जिसकी सतत निगरानी भी होती है।समय समय पर शिक्षक बच्चों व पालकों से संपर्क भी करते हैं।विषय शिक्षक गृहकार्य भी देते हैं और जांच परीक्षा भी होती है ।यह सब मोबाइल के माध्यम से होता है।जिन बच्चों के पास कोई साधन नहीं है ऐसे बच्चों को अपने समीपस्थ रहने वाले बच्चों के साथ सोशल-डिस्टेंस का पालन करते हुए तथा मास्क का उपयोग कर साथ साथ अध्ययन करने के सलाह दी गई।प्राचार्योंगण व शिक्षक लगातार बच्चो व पालकों से संवाद कायम रखकर दक्षता संवर्धन कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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