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Friday, November 3, 2023

सट्टा किंग का ताज दुसरे सिर सजा खाखी ने खुली छूट दी लूट रहे ग़रीब


रेवांचल टाईम्स -मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में गरीबी हर क्षेत्र में देखी जा सकती है और गरीब जनता मेहनत मजूदरी कर अपना और अपने बच्चों का लालन पालन कर रहे है इस जिले में फैक्ट्रीया है न ही लोगो को अच्छा रोजगार मिल सके ऐसी कोई व्यवस्था लोग आज पलायन कर अपना जीवन यापन कर रहे है और ग्रामीण अपनी खेती का कार्य करने के बाद गाँव की गाँव से रोजी रोजगार के लिए निकल जाते है और गाँव की गाँव खाली पड़े रहते है, और दूसरे जिलों से गरीब जनता जो थोड़ा बहुत कमा कर लाती है उसे ये सट्टा, जुआ, गांजा, और शराब के व्यपारियों के चुंगल में फस कर पूरा पैसा बर्बाद कर देते है और गरीब आज भी गरीब है और सट्टा, जुआ, गांजा, और अबैध शराब बेचने वाले दिन दुगनी रात चौगनी कर रहा हैं, और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी भी अपनी ऊपरी आय के चलते जिले में चल रहे अवैध कारोबार पर देख कर भी अनदेखा की जा रहा हैं, बस कहे तो केवल इस जिले में माफियाराज है क़ानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है गली गली, गाँव गाँव में बड़ी ही आसानी से देशी विदेशी शराब गांजा,  बीजाडांडी में सट्टा, नशाखोरी समेत अन्य अवैध कारोबार तेजी से अपने पैर पसार रहा है।

       वही सूत्रों की माने तो मंडला जिले के बीजाडांडी क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों रुपये का सट्टा खिलाया जा रहा है। बीजाडांडी, कालपी समेत आस पास क्षेत्र में सट्टेबाजी का कारोबार तेजी से चल रहा है। संचार क्रांति के इस दौर में दिन में तीन टाईम का सट्टा खिलाया जा रहा है और आनलाइन बाजियां लगाई जा रहीं हैं। ऐसे में जहां क्षेत्र में सक्रिय सटोरियों की मौज है, वहीं क्षेत्र के गरीब और मजदूर वर्ग के लोग अपनी खून पसीने की कमाई इन अंको के हर फेर में गंवा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि केवल उम्रदराज लोग ही सट्टा खेल रहे हैं, बल्कि कम उम्र के युवा भी अंकों में दांव लगाकर अपना कैरियर खराब कर रहे हैं। फिलहाल सट्टे का अब रूप बदल गया है। पेन, कागज की जगह मोबाईल ने ले ली है। अब सट्टा ऑन लाईन खिलाया जा रहा है। यह सट्टा कारोबार पुलिस की गिरफ्तर से काफी दूर है। जिसके कारण क्षेत्र में सट्टे पर लगाम नहीं लग पा रही है।

जानकारी अनुसार बीजाडांडी में अवैध कारोबार अपने चरम पर है, यहां जुआ, सट्टा और अवैध मादक पदार्थों का जमकर खेल चल रहा है। सूत्रों के अनुसार बीजाडांडी क्षेत्र में सट्टा जमकर खिलाया जा रहा है। एक के अस्सी की लालच में लोग बर्बाद हो रहे है। सट्टा छोटे छोटे से पान ठेले से लेकर चाय की टपरी समेत अन्य स्थानों में इसका गुड़ा भाग चल रहा है। 01 के 80 की गिरफ्त में युवा पीढ़ी आ रही है। इन सामाजिक कुरीतियों की वजह से अधिकाश परिवार जहां आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं तो वहीं काफी युवाओं के कदम अपराध की दुनिया की ओर भी बढ़ रहे हैं। इससे युवाओं का भविष्य भी संकट में आ रहा है।

ऐसा लिखा जाता है मोबाईल में नंबर

अब सटोरिया, एजेंट सट्टा लिखने के लिए कागज, पैन का सहारा नहीं लेते है, अब सटोरिए भी हाईटेक हो गए है। ये अब घर बैठे ही मोबाईल पर सट्टा लगाने वालों की ओपन, क्लोज लिख रहे है। सट्टा का नंबर लिखने के लिए सटोरिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करते है। जैसे ओपन 1- 200, 7-100, 4-400, यह ओपन के नम्बर है जिसमें प्रथम 1,7 या 4 में 200, 100, 400 कोरकम लगी है। ऐसे ही क्लोज
लिखी जाती है और जोड़ी भी ऐसे ही लिखा जाता है।
गरीब फंसता जा रहा जाल में...

वही बताया गया कि ओपन में आने पर एक रुपए के 9 रुपया भुगतान किया जाता है, क्लोज पर 12 रुपए पर करीब 1000 रूपए की रकम का भुगतान होता है। उदयपुर, बीजाडांडी, कालपी व आसपास के ग्रामो में सट्टे के तीन खेल टाइम बाजार, कल्याण, राजधानी ओपन, क्लोज जोरो पर चल रहा है। बता दे कि सट्टे के इस खेल में सबसे अधिक गरीब तबके के मजदूर, हम्माल, आटो चालक जैसे लोग फंसे हुए है। कुछ लोग तो नम्बरो की रनिंग खेलते है। जिससे वे ओर अधिक लूट रहे है। सट्टे के इस खेल में किसी का बस नहीं जो इसे बंद करा सके। इस सट्टे के खेल में परिवारिक कलह भी हो रहा है। उदयपुर, बीजाडांडी में ऐसे सटोरिये है जो ओपन, क्लोज, जोड़ी की रकम स्वयं खाते है। क्योंकि खिलाने वाले के पास 99 अंक है, लेकिन खेलने वाले के पास केवल उसी के दो चार अंक होते है, पैसे बनाने के चक्कर में गरीब इस खेल में फंसता जा रहा है।

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