रेवांचल टाईम्स -मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में गरीबी हर क्षेत्र में देखी जा सकती है और गरीब जनता मेहनत मजूदरी कर अपना और अपने बच्चों का लालन पालन कर रहे है इस जिले में फैक्ट्रीया है न ही लोगो को अच्छा रोजगार मिल सके ऐसी कोई व्यवस्था लोग आज पलायन कर अपना जीवन यापन कर रहे है और ग्रामीण अपनी खेती का कार्य करने के बाद गाँव की गाँव से रोजी रोजगार के लिए निकल जाते है और गाँव की गाँव खाली पड़े रहते है, और दूसरे जिलों से गरीब जनता जो थोड़ा बहुत कमा कर लाती है उसे ये सट्टा, जुआ, गांजा, और शराब के व्यपारियों के चुंगल में फस कर पूरा पैसा बर्बाद कर देते है और गरीब आज भी गरीब है और सट्टा, जुआ, गांजा, और अबैध शराब बेचने वाले दिन दुगनी रात चौगनी कर रहा हैं, और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी भी अपनी ऊपरी आय के चलते जिले में चल रहे अवैध कारोबार पर देख कर भी अनदेखा की जा रहा हैं, बस कहे तो केवल इस जिले में माफियाराज है क़ानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है गली गली, गाँव गाँव में बड़ी ही आसानी से देशी विदेशी शराब गांजा, बीजाडांडी में सट्टा, नशाखोरी समेत अन्य अवैध कारोबार तेजी से अपने पैर पसार रहा है।
वही सूत्रों की माने तो मंडला जिले के बीजाडांडी क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों रुपये का सट्टा खिलाया जा रहा है। बीजाडांडी, कालपी समेत आस पास क्षेत्र में सट्टेबाजी का कारोबार तेजी से चल रहा है। संचार क्रांति के इस दौर में दिन में तीन टाईम का सट्टा खिलाया जा रहा है और आनलाइन बाजियां लगाई जा रहीं हैं। ऐसे में जहां क्षेत्र में सक्रिय सटोरियों की मौज है, वहीं क्षेत्र के गरीब और मजदूर वर्ग के लोग अपनी खून पसीने की कमाई इन अंको के हर फेर में गंवा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि केवल उम्रदराज लोग ही सट्टा खेल रहे हैं, बल्कि कम उम्र के युवा भी अंकों में दांव लगाकर अपना कैरियर खराब कर रहे हैं। फिलहाल सट्टे का अब रूप बदल गया है। पेन, कागज की जगह मोबाईल ने ले ली है। अब सट्टा ऑन लाईन खिलाया जा रहा है। यह सट्टा कारोबार पुलिस की गिरफ्तर से काफी दूर है। जिसके कारण क्षेत्र में सट्टे पर लगाम नहीं लग पा रही है।
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