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Friday, September 15, 2023

मण्डला जिले में बगैर नर्सिंग होम एवं क्लीनिक का पंजीयन किये धड़ल्ले से चल रहे फर्जी डाक्टरों की डिस्पेंसरी



जिले के गाँव गाँव तक फैला हुआ है झोलाछाप डॉक्टरों का मायाजाल, गरीबों का खुला शोषण बदस्तूर जारी


रेवांचल टाईम्स - मण्डला हमारे इस आदिवासी बाहुल्य मण्डला जिले मैं ऐसा कोई भी गांव और नगर बाकी नहीं है जहां पर बेधड़क, बेरोकटोक, धड़ल्ले से बगैर किसी डर और भय के झोला छाप, पांचवी आठवीं, दसवीं कक्षा पास डाक्टरों की क्लीनक एवं नर्सिंग होम न चल रही हो पर जिला प्रशासन के साथ साथ स्थानीय प्रशासन को भी ये सब नजर नही आ रहा है बल्कि इन सब अबैध संचालन के पीछे कही न कही खण्ड चिकित्सा अधिकारी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और पुलिस विभाग की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है पर ये सब देख कर भी अनदेखा कर रहे है और झोलाछाप डॉक्टरों जो सड़क के किनारे ही अपनी दुकान लगा कर खुलेआम एलोपैथी से इंजेक्शन बॉटल लगा रहे है और असमय लोगो को काल के गाल में भेज रहे है पर इस जिले में किसको क्या सब अपना अपना काम देख रहे है।

            वही मध्यप्रदेश सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग से बिना पंजीयन किये धड़ल्ले से संचालित करते चारों तरफ दिखाई दे रहे है किन्तु  इसके पश्चात भी संबंधित स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार शासकीय तंत्र आज पर्यन्त ऐसे झोला छाप, फर्जी डाक्टरों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कानूनी कार्यवाही करते कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रहा है। आखिर ऐसी कौन सी बजह है जिसके चलते इन झोला छाप डाक्टरों को बेपरवाह गरीब जनता को लूटने की खुली छूट और मौत से खिलवाड़ करने का दायित्व सौंपा गया है? गांव हो या नगर सभी तरफ हमें इन झोला छाप डाक्टरों की डिस्पेंसरी और बगैर फार्मासिस्ट की दवाई दुकाने संचालित होते दिखाई दे रही है।वहीं मध्यप्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन मैं स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जिले के समस्त निजी नर्सिंग होम एवं क्लीनिक का मध्यप्रदेश उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 तथा नियम 2021 के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य है। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुये बताया कि  क्लीनिक के अंतर्गत केवल ओ पी डी सेवायें ही संचालित की जानी चाहिये। मरीज को भर्ती किया जाना नियम विरूद्ध होगा, इस हेतु नर्सिंग होम का पंजीयन अनिवार्य है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि क्लीनिक के पंजीयन हेतु क्लीनिक का फ्लोर प्लान, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी बायोमेडिकल वेस्ट एन ओ सी (जहां बायोमेडिकल वेस्ट नहीं निकलता है, वहॉं 100 रूपये के स्टॉम्प पेपर पर शपथ पत्र), डॉक्टर की डिग्री एवं रजिस्ट्रेशन, स्टाफ की शैक्षणिक योग्यता एवं रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र तथा क्लीनिक की बाहर एवं अदर की फोटो अनिवार्य रूप से संलग्न करनी होगी।उन्होंने बताया कि क्लीनिक के पंजीकरण हेतु ये सभी दस्तावेज एम पी ऑनलाईन के एनएचएस पोर्टल में अपलोड कर एवं निर्धारित शुल्क जमा कर भौतिक सत्यापन के पश्चात् पंजीयन स्थानीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता। जो चिकित्सक जिस पैथी के योग्यताधारी है, उसी विधा में मरीजों का ईलाज कर सकते हैं। किसी अन्य पैथी से ईलाज करना नियम विरूद्ध है। किन्तु यहां पर हम शासकीय नियम निर्देशों की खुली धज्जियां उड़ाते आसानी से चारो तरफ देख सकतें हैं। झोलाछाप डॉक्टर आज भी अपने अधकचरे, आधे अधूरे  ज्ञान और दवाई दुकान के माध्यम से लोगों का आर्थिक शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन और संबंधित स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही,खुली छूट के चलते यहां पर झोला छाप डाक्टरों के खिलाफ कभी भी कानूनी कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद दिखाई दे रहे हैं। लगातार जन शिकायतों और इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करने की मांग होने और अखबारों में प्रमाणित, पूरे साक्ष्यों के साथ समाचार प्रकाशित होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग मण्डला के जिम्मेदार शासकीय तंत्र के द्वारा कभी भी कानूनी कार्यवाही नहीं करने से यहां पर चारों तरफ व्यापक आक्रोश का वातावरण बना हुआ है।

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