इस बार क्या कांग्रेस से रजनीश सिंह भी चाहते है राकेश पाल सिंह को न मिले भाजपा से टिकिट
दैनिक रेवांचल टाइम्स - केवलारी विधानसभा चुनाव में भाजपा के 6 मंडल अध्यक्षों पर बड़ी जिम्मेदारी क्या लगा पाएंगे विधायक राकेश पाल सिंह की नैया पार इस वर्ष के अंतिम महीनो में विस मध्यप्रदेश के चुनाव होना है, सभी दल अपने-अपनी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार चुनावी रण में उतरने को तैयार है ठीक उसी तरह प्रत्येक दल अपने-अपने प्रत्याशी को चयन करने पर कई सर्वे करवा चुका है हम बात कर रहे हैं केवलारी विधानसभा की जहां केवलारी विधानसभा के विधायक राकेश पाल सिंह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से हैं, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपने गढ़ को खोना पड़ा था उसी समय केवलारी विधानसभा के लिए राकेश पाल सिंह को टिकट मिलना भाजपा का एक प्रयोग माना जा रहा था कहने को तो उसे समय भी भाजपा में भी कई दावेदारी विधायक की रख रहे थे, लेकिन इन सब में राकेश पाल सिंह सब कुछ में भाजपा की पहली पसंद बने और उन्होंने 6000 करीबन वोटो से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री विधायक रहे स्वर्गीय ठाकुर हरवंश सिंह के पुत्र ठाकुर रजनीश सिंह को हराया जबकि उसकी पिछली पंचवर्षीय में वे भी विधायक रहे, वर्तमान परिस्थितियों में केवलारी विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी विधायक प्रत्याशी के दावेदारों की लंबी लिस्ट है जिसमें हर वरिष्ठ कार्यकर्ता से लेकर बाहरी कार्यकर्ता तक अपनी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहा है भाजपा के निर्णय हमेशा चौंकाने वाले जरूर होते हैं लेकिन इस बार के चौंकाने वाले निर्णय ही भाजपा को नुकसान न पहुंचा दें क्योंकि भाजपा के विधायक राकेश पाल सिंह की टिकट अगर भाजपा काटेगी तो इसमें भाजपा का ही नुकसान होना है क्योंकि बीते 5 वर्षों में केवलारी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा संगठन में मजबूती देखने को मिली है जहां-जहां बूथों में भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाता था वहां-वहां विधायक बनने के बाद ही राकेश पाल सिंह ने कमान संभाली अपने 6 मंडल अध्यक्षों को बैठाकर बूथों को मजबूत बनाने का प्रयास किया बीते 5 साल में कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ने का काम किया है आज उसी का उदाहरण है कि विस छपारा धनोरा उगली क्षेत्र जो की कमजोरी माना जाता था भाजपा की संगठन की ओर से आज वहां भाजपा को मजबूती मिली है वहीं दूसरी और बीते 5 साल में विपक्ष के दौड़ में कांग्रेस के द्वारा एक भी आंदोलन जनहित में ना होना विधायक का विरोध ना होना राकेश पाल सिंह की लोकप्रियता को मजबूती देता है, केवलारी विधानसभा में जाति आंकड़ों में देखा जाए पिछड़े आदिवासी समाज का अधिक है वहां भी राकेश पाल सिंह के द्वारा निरंतर संपर्क और समर्थन के माध्यम से उनको भी अपना बनाने के लिए 5 साल खूब मेहनत करें जिसका नतीजा विधानसभा के केवलारी सम्मेलन में भी देखने को मिला है जिसमें केवलारी विधानसभा में हुए सम्मेलन में सिर्फ कार्यकर्ताओं की संख्या 10000 के ऊपर थी जिसे केवलारी की जनता राकेश पाल सिंह की लोकप्रियता मानी जा रही है लेकिन इन सब के बीच विरोध करने वालों की भी संख्या कम नहीं है भाजपा के कुछ कार्यकर्ता महत्वाकांक्षा एवं वजूद के लिए अपनी अपनी दावेदारी दे रहे हैं जो कि हर चुनाव में देते आए हैं इसमें इस बार कुछ युवा नए चेहरे भी देखने को मिल रहे हैं लेकिन इनका जनाधार सीमित और उनकी सक्रियता बिल्कुल भी देखने को 5 साल में नहीं मिली है साथ ही साथ अगर की किसी की कुछ लोकप्रियता भी है लेकिन वह सक्षम नहीं है कहते हैं राजनीति में लोकप्रियता से पहले सक्षमता भी होना जरूरी है जो की देखने को नहीं मिलती है।
वहीं दूसरे दल कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की लंबी लिस्ट है लेकिन इसमें आधे से ज्यादा कार्यकर्ता निष्क्रिय है या बार-बार एक ही व्यक्ति को टिकट मिलने से काम करने में असंतुष्ट है व्यावहारिकता के कारण ठाकुर रजनीश सिंह ने ग्रामीणों के बीच में संबंध तो अच्छे बने हैं पर उन्हें वोटो में तब्दील कर पाने में सफल नहीं हो पाते है, इस केवलारी विधानसभा में कांग्रेस के पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है या कांग्रेस को दूसरा विकल्प ढूंढने की इच्छा शक्ति ही नहीं है इसलिए वह एक ही व्यक्ति पर विश्वास जताती आ रही है जहा कांग्रेस को हराना नामुमकिन था वहां कांग्रेस का कार्यकर्ता असंतुष्ट है इसका कारण है एक ही प्रत्याशी पर भरोसा जताना। कांग्रेस को जीतने के लिए यहां बहुत मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी अगर भाजपा अपने प्रत्याशी को नहीं बदलती है तो उसके भी बहुत महत्वपूर्ण कारण यह है कि भाजपा शासन में भाजपा का विधायक केवलारी से होना केवलारी विधानसभा भाजपा के लिए एक पावर हाउस था जिसे भाजपा संगठन ने भरपूर इस्तेमाल किया इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है और कांग्रेस के भी कार्यकर्ता अंदर ही अंदर राकेश पाल सिंह की लोकप्रियता से प्रभावित भी देखने को मिलते हैं, शायद यही कारण है कि रजनीश सिंह भी भाजपा की ओर देख रहे हैं और भाजपा की गुटबाजी को हवा दे रहे हैं उनकी जीत की आस बीजेपी के प्रत्याशी को बदलने पर ही लगी है अब सवाल यहां है कि क्या यही कारण है कि रजनीश सिंह भी नहीं चाहते कि राकेश पाल सिंह को भारतीय जनता पार्टी से केवलारी विधानसभा से दोबारा फिर से टिकट मिले??
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