दैनिक रेवांचल टाइम्स बजाग -नये शिक्षण सत्र के शुरूवाती दौर में ही छेत्र के अधिकांशतः विद्यालय में शिक्षकों की मनमानी चरम पर है अक्सर देखने को मिलता हैं कि शिक्षक विद्यालय से नदारद रहते हैं यही कारण है कि आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है ऐसा ही कुछ हाल करंजिया विकास खंड के ग्राम पडरीपानी में संचालित प्राथमिक शाला स्कूल का हैं जहां पर कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए मांत्र एक शिक्षक हैं वह भी विद्यालयीन समय पर उपस्थित नहीं रहते जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही हैैं वन ग्राम पडरीपानी में स्थित इस विद्यालय में ज्यादातर गरीब तबके के विधार्थी बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से आते हैं वहीं शाला के प्रधानपाठक बंशत पुषाम अपनी मर्जी के मालिक हैं जो कभी भी शाला में समय पर हाजिर नहीं होते हैं जिससे देश के भविष्य कहें जाने वाले नोनिहालो का पढ़ाई करने का सपना अधूरा सा प्रतीत होता नजर आ रहा है बताया जाता हैं कि बच्चे समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं और साफ सफाई भी खुद करते हैं शाला के सभी बच्चों को एक साथ संयुक्त रूप से एक ही कमरे में बैठाया जाता है बिदयालय के ऐसे हालात देखने के बाद सब पढ़ें,सब बढे की कल्पना करना भी बेमानी है इनका कहना है मैं शाला के बारे में जानकारी लेता हूं अजय राय बी आर सी करंजिया
Sunday, August 13, 2023

शाला में समय पर नहीं आते शिक्षक पढ़ाई हो रही प्रभावित
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