दैनिक रेवांचल टाइम्स - मंडला- शिक्षा के नाम पर आदिवासी बाहुल्य जिले में किस कदर भृष्टाचार किया जारहा है उसकी बानगी आप जिले के शासकीय स्कूलों में देख सक्ते है। जनजातीय विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने चहेते ठेकेदारों के माध्यम से मरम्मत के नाम पर लाखों करोड़ों का भृष्टाचार करने में लगे हुए है। बतादे हाल ही में जनजातीय विभाग द्वरा जिले के करीब 50 शैक्षणिक संस्थाओं की मरम्मत हेतु तकरीबन 10 करोड़ की राशि आवंटित की है। लेकिन उक्त शैक्षणिक संस्थानों में मरम्मत के नाम लीपापोती कर भृष्टाचार की नई इबादत लिखी जारही है- बतादें जनजातीय विभाग मंडला जितनी राशि मरम्मत के लिए दी गई है उससे भी कम लागत में उतना ही बड़ा भवन बनकर तैयार हो जाता है। लेकिन चहेते ठेकेदारों व खुद की जेब भरने की नीयत से जनजातीय विभाग के अधिकारियों ने बिना अवलोक किए मन माफिक तरीके से लाखों रुपये आंटित कर दिए गये है। उसके बाउजूद उक्त शैक्षणिक संस्थानों में प्राकलन के अनुसार कार्य भी नही कराया जारहा है। जिन अधिकारी कर्मचारियों को प्रतिदिन मरम्मत के कार्य रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेजनी है उन लोगो ने भी अपना ईमान ठेकेदार की चौखट पर गिरवी रख दिया- जिसके चलते जिले की मुखिया को मरम्मत कार्य की सही जानकारी नहीं मिल पारही है।
सहायक आयुक्त जनजातीय विभाग के उपयंत्री निरीक्षण के नाम पर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से निर्माण कार्यो का निरीक्षण कर पल्ला झाड़ रहे है जिसकी वजह से उपयंत्री परमार की कार्य प्रणाली भी उक्त कार्यो में संदिग्ध नजर आरही है।
अब सवाल यह उठता है कि जितना पैसा जनजातीय विभाग ने मरम्मत के लिए जारी किया है उतने से कही कम राशि में बड़ा व नया भवन बनकर तैयार हो जाता।।
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