रेवांचल टाईम्स - फर्राटे से दौड़ रही बसों पर कार्यवाही नहीं होने से सड़क दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी जिला मुख्यालय से होकर जबलपुर अमरकंटक मार्ग तक हाईवे की दशा चिंताजनक....
डिंडोरी जिला मुख्यालय की यातायात व्यवस्था कुछ दिनों से दिन-ब-दिन चौपट होती नजर आ रही है इस मामले में देखा जाए तो आरटीओ विभाग भी लापरवाही बरतने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है जिसके चलते आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी लगातार हो रही है लेकिन सुधार की दिशा में उपाय नहीं किया जा रहा है नगर के अंदर प्रमुख चौराहों पर पुलिस बल तैनात किए जाते हैं लेकिन अक्सर देखा जाता है कि ओवर लोडिंग वाहन धड़ल्ले से नो एंट्री में प्रवेश कर जिला मुख्यालय के बीचो-बीच होते शहर से पार हो जाते हैं आवाजाही फिर पटरी से उतर गई है रॉन्ग साइड से भी बड़ी-बड़ी गाड़ियों की आवाजाही होती नजर आने लगी है कभी कभार तो ऐसा भी होता है कि चौराहों में यातायात पुलिस नजर नहीं आती है सबसे अधिक बेकार स्थिति अस्पताल गेट से लेकर नर्मदा पुल पर जाने वाली तिराहे पर नजर आ रही है शहर के वाहनों की भी बहुत अधिक आवाजाही रहती है इसके बावजूद यहां ट्रैफिक पुलिस नहीं रहती सड़क हादसों में कमी लाने तथा आवाजाही को पटरी पर लाने के लिए शासन ने कलेक्ट्रेट चौराहे से लेकर पूरे जिला मुख्यालय में कैमरे भी लगवाए गए हैं साथ ही साथ यहां पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है लेकिन अब यातायात विभाग एवं आरटीओ विभाग द्वारा दिन-ब-दिन लापरवाही बरतने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं सभी सड़कों की ओर से वाहन एक साथ घुसते रहते हैं एक साथ वाहनों की भीड़ होने से कई बार वाहन डिवाइडर से टकराते टकराते बचते हैं कभी-कभी पैदल चलने वाले वाहन की चपेट से बाल-बाल बचते हैं यहां स्थिति मुख्यालय के हर चौराहे पर देखी जा सकती है जबलपुर अमरकंटक मार्ग में भी काफी परेशानी देखी जाती है बस स्टैंड की ओर आने वाली बड़ी लंबी चौड़ी बसे भी शहर के धड़ल्ले से अंदर से होकर गुजरती है जिनका ना तो रोड टैक्स होता है ना बीमा होता है ना फिटनेस इनके वाहन मालिकों की दबंगई के चलते आरटीओ एवं यातायात विभाग मुख दर्शक बना रहता है जिसके चलते तो कई बार हॉस्पिटल के सामने जाम भी लग जाता है और एंबुलेंस को आने-जाने का रास्ता भी नहीं मिल पाता घोड़ा चौक से लेकर यातायात थाना तक बेतरतीब वाहन खड़े रहते हैं जिससे हादसों का सबब बना रहता है घोड़ा चौक चौराहे से लेकर पुरानी डिंडोरी चौराहे तक आवाजाही की स्थिति अराजक सी नजर आती है कहीं कोई व्यवस्था है ना कोई अंकुश लगाने वाला ही रहता है हालात यहां है कि इस तरह 24 घंटे भारी वाहनों की आवाजाही चलती है एक और जबलपुर अमरकंटक मार्ग से भारी वाहन की आवाजाही जारी रहती है इसके अलावा शहर के वाहनों का भी काफिला चलता है इतनी भीड़ और नियंत्रण कहीं नहीं कभी गंभीर हादसा हो सकता है सबसे अधिक परेशानी तब होती है जब सड़कों पर बसें खड़ी हो जाती है यहां सवारी चढ़ती उतरती है कोई भी सवारी किसी वाहन की चपेट में आ सकता है बस वाले ने यहां अघोषित बस स्टैंड बना रखा है और हॉस्पिटल के आजू-बाजू बस मालिकों के दबाव के कारण प्रशासन भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है यहां बसों का रुकना काफी खतरनाक है इसी तरह का एक अघोषित बस स्टैंड पुरानी डिंडोरी तिराहे पर भी बना रखा है जहां समनापुर अमरकंटक जाने वाली सवारी बैठा जाते हैं स्थाई रूप से पुलिस की ड्यूटी लगाई जाती थी लेकिन इस समय सब व्यवस्था पटरी से उतरती प्रतीत होती है ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि सुबह 10:00 से 11:00 बज जाते हैं लेकिन यातायात व्यवस्था के पुलिसकर्मी नजर नहीं आते ना ही कभी आरटीओ विभाग द्वारा इन बड़ी-बड़ी बसों पर कड़ी कार्यवाही की जाती है क्योंकि इसलिए ऐसा कहा जा सकता है क्योंकि आकाश ट्रैवल्स कुछ बसे ऐसी जिले में चल रही है जिनका ना तो फिटनेस है ना तो बीमा है ना तो इंश्योरेंस है आखिर यह बसें किसकी मेहरबानी से जिले में फर्राटे से दौड़ रही है जिसका जीता जागता उदाहरण धनुआ सागर मैं देखा गया था जहां अकाश ट्रैवल्स की बस के द्वारा दो व्यक्ति को मौत के घाट बड़ी बेरहमी से उतार दिया गया था आखिर जिले में किसकी सह पर फर्राटे से दौड़ रही बसें बिना परमिट जिसके चलते दुर्घटनाओं दिन-ब-दिन हो रही बढ़ोतरी जिला प्रशासन ना तो कभी व्यवस्था को दुरुस्त करता है और ना ही नियमों के विपरीत खड़े वाहन पर कार्यवाही करता है जिसके कारण आए दिन सफर करने वाले को दुर्घटना का सामना करना पड़ता है कहीं जानवर तो कहीं गड्ढे तो कहीं बड़ी गाड़ियों से टकराने से सफर मौत तक पहुंच जाता है आखिर यातायात एवं आरटीओ विभाग अपना कब तक यूं ही सुस्त रवैया अपनाते रहेंगे और दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी करते रहेंगे यहां तो अपने आप में एक अहम सवाल है।
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