रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला के जनपद पंचायतों में किया गया तालाबन्दी 16 जनवरी को जनपद सदस्य एवं पदाधिकारी द्वारा जनपद कार्यालयों में तालाबंदी किया गया जनपद सदस्य संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा पंचायती राज से जुड़ी व्यवस्थाओं को लेकर पूर्व में शासन को ज्ञापन दिया गया था, लेकिन सरकार द्वारा उनकी कोई मांग नहीं सुनी गई, जिसके कारण वे अब आंदोलन करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम 1993-94 में त्रिस्तरीय पंचायती राज पदाधिकारियों को मिले अधिकारों को राज्य सरकारों के द्वारा पूर्णतः खत्म किया जा चुका है अब यह पंचायती राज नहीं अधिकारी राज बन चुका है।
वही सरकार ने नहीं सुनी मांग सदस्य तो आंदोलन करने होंगे बाध्य जिले के जनपद सदस्यों ने बताया कि अपने अधिकार के लिए सरकार से मांग करने ज्ञापन सौंपा था, लेकिन सरकार द्वारा कोई निर्णय लिया और न आश्वासन नहीं दिया गया जिसके कारण हम आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गये हैं। जनपद सदस्यों ने कहा कि जब हमारे पास अधिकार ही नहीं रहेंगे तो हम अपने क्षेत्र में विकास कार्य कैसे करा पायेंगे? या तो सरकार को पंचायत चुनाव ही समाप्त कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि इसी क्रम में 16 जनवरी को समस्त जिले के जनपद कार्यालय में ताला बंदी की गई और जनपद के काम रोका गया।
जिले के जनपद में चल रहे अधिकारी राज में जमकर किया जा रहा है सरकारी धन में भ्रष्टाचार
जिले की सभी जनपदों में अधिकारी राज चल रहा है। और खुलेआम ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार के मूल सूत्रधार जनपद पंचायत कार्यालय में बैठे अधिकारी ही हैं। जनसुनवाई से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक सिर्फ ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत हो रही है। अनेक शिकायतों तो जनपद पंचायत कार्यालय में स्थित फाईलों में दफन हो कर रह जाती हैं। अधिकतर शिकायतें अब जनपद कार्यालय न पहुंचकर सीधे जिला मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई में पहुंच रही हैं। वही ग्राम पंचायतों में बिना एएस, टीएस के काम हो रहे हैं और जनपद पंचायत कार्यालय में बैठे अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। यहां तक कि जनपद कार्यालय में नवनिर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं जनपद सदस्यों की न तो सुनवाई हो रही और न ही कोई काम हो रहे हैं।
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