रेवांचल टाईम्स - मंडला शांति सद्भावना मंच मंडला मुख्यालय में 3 जनवरी को सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई।साथ ही समतुल्य महापुरुषों को भी याद किया गया।
इस अवसर पर सामिल हुए नागरिक मंच के सदस्यों ने वर्तमान में समाज में चल रही बौद्धिक शिक्षा पर गहन चिंतन कर एक निर्णय भी लिया है,कि स्कूली शिक्षा के स्तर को देखते हुए समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले वर्गों को बौद्धिक शिक्षा के बढ़ावे पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।जिसके लिए शांति सद्भावना मंच काम भी करते आ रहा है। इसको लेकर शांति सद्भावना मंच मंडला के नागरिक मंच के सदस्यों के द्वारा विगत कई वर्षों से स्कूलों और कुछ नगर ग्रामों के बीच लोगों में बौद्धिक स्तर बढ़ाने का काम किया जा रहा है। जिसमें सहयोग करने की अपील भी लोगों से की गई है।
शांति सद्भावना मंच जिला कोर्डीनेटर पी.डी.खैरवार ने बताया है,कि भारतीय सामाजिक संस्थान नई दिल्ली के द्वारा शांति सद्भावना मंच कार्यक्रम देश के सात राज्यों में संचालित है। जिनमें मध्यप्रदेश भी एक है। यहां पर भी नागरिकों को संविधान पर आधारित न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाए रखने और इसी आधार पर बराबरी का समाज बनाने का संदेश दिया जाता है। ऐसे ही उद्देश्यों को लेकर महापुरुषों की जयंती अवसरों पर छोटे छोटे उत्सव रखे जाते हैं।सवित्री बाई फुले ने ऐसे वातावरण में शिक्षा का प्रचार करने समाज के बीच आने का साहस किया था,जब समाज में खासकर महिलाओं को शिक्षा देना या तो पाप समझा जाता था समाज विरोधी कार्य समझा जाता था या अनावश्यक।तब उन्होंने महिलाओं को भी पुरुषों की बराबरी में लाए जाने शिक्षा को अनिवार्य बताकर उनको पढ़ाने लिखाने का काम स्वयं ही छोटी छोटी जगहों से शुरू कर दिया।जिनका शुरुआत में विरोध तो हुआ पर सावित्री बाई ऐसी साहसी महिला थीं कि विरोध का सामना भी डटकर करती रहीं और महिला शिक्षा को बढ़ावा देते महिला और पुरूष के बीच हजारों वर्षों से बनी खाई को पाटकर बराबरी में लाने का काम कर दिखाया।
ऐसी साहसी महिलाओं की आज समाज में सख्त जरूरत है।
इस अवसर पर सावित्री बाई फुले के तैल्यचित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर देश और समाज में शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले महापुरुषों को भी याद किया गया।
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