रेवांचल टाईम्स -मंडला जिले में नर्मदा नदी के तट में छट पूजा करते हुए सूर्य देव को दिया गया अर्ध्य वही छट पूजा आज भारत के बिहार, झारखण्ड और पूर्वांचल में सबसे बड़े त्यौहार के रूप में प्रचलित छठ पूजा के पर्व को मंडला में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। वही नगर में रहने वाले पूर्वांचल के कुछ परिवारों ने रविवार की शाम ढलते सूरज को अघ्य देते हुए छठी मैया की पूजा कर परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
वही उत्तर भारत में मनाए जाने वाला महापर्व छठ मण्डला में भी विगत कई वर्षों से लगातार मनाया जा रहा । नर्मदा के रपटा घाट पर यहां के निवासी सभी परिवार के लोग एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं। छठ की शाम सूर्यास्त के समय सूर्य को अध्य देने के बाद अगले दिन अलसुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर निर्जला व्रत किया जाता है और फिर महिलाओं ने तोड़ा। पहले दिन नहाए खाए दूसरे दिन खरना और फिर तीसरे दिन सूर्य की पूजा के बाद चौथे दिन सूर्य को अर्ध्य देकर इसका समापन किया गया। बताया गया कि महिलाएं अपने पुत्र की मंगल कामना और घर में सुख शांति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पहले दिन खीर खाकर उपवास शुरू करती हैं और अंतिम दिन उगते सूरज को अर्ध्य देने के बाद गन्ना या गुड़ खाकर पानी पीने के बाद वह अपना व्रत तोड़ती हैं। पूजा-अर्चना के बाद सूर्य देव की सभी ने महाआरती की गई।
वही सूर्य उपासना का पर्व सूर्य षष्ठी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर नर्मदा घाट में छठ पूजन के लिए शाम 4 बजे के बाद से भीड़ शुरू होने लगी थी। सूर्य अस्त का समय होते-होते सैकड़ों की संख्या में रपटा घाट सहित अन्य घाटों में श्रद्धालु पहुंच गए थे। यहां इन्होंने विधि-विधान के साथ भगवान सूर्य का पूजन अर्चन किया गया और सूर्य भगवान को अर्ध्य देकर सुख, शांति, समृद्धि का आशीर्वाद लिया।
बैंड बाजा के साथ नाचे-झूमते हुए पहुंचे नर्मदा तट में छठ पूजन के लिए रपटाघाट में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। जिनमें कई तो बैंड-बाजा के साथ सिर में पूजन सामग्री रखे झूमते हुए जा रहे थे। नर्मदा तट में पहुंचकर यहां गन्ने का मंडप तैयार किया गया। इसके बाद फूल, प्रसाद, फल, पान के साथ नर्मदा जी और सूर्य भगवान का पूजन किया गया। पूजन के दौरान ढलते सूरज को अर्ध्य दिया गया।
वही पूजन में सभी प्रकार के मौसमी फलों के साथ इस समय होने वाली नई नई हरी सब्जियों को भी पूजन सामग्री में शामिल किया गया था। नर्मदा जल और में खड़े होकर पुरोहितों द्वारा मंत्रोच्चारण के बीच भगवान सूर्य अर्ध्य दिया गया साथ परिवार के लिए सुख शांति का वरदान मांगा गया।
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